आध्यात्म का दीप है भागवत -डॉ पुण्डरीक महाराज
वाराणसी- लंका स्थित रश्मि नगर कालोनी में बुधवार को आठ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।जिसका समापन 5 जनवरी को होगा।भागवत कथा के आयोजक डॉ प्रमोद मिश्र व मंजू मिश्र तथा विनोद मिश्र हैं। श्रीमद्भागवत रस महायज्ञ के प्रथम दिन व्यासपीठ पर विराजमान पुण्डरीक महाराज ने बताया कि भगवान व्यास ने भागवत से आध्यात्म का दीप जलाया है।एक श्लोक में भगवान व्यास ने पुरी रामकथा लिख दी।इस कथा के वक्ता भी भगवान और श्रोता भी भगवान हैं।भागवत कथा श्रवण करने और भगवान की शरण में जाने से जीवन धन्य हो जाता है।कथा के कहने और सुनने वालों को कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।
सुकदेव जी कथा सुन रहे थे इसी समय भगवान अमृत लेकर आ गए और कहा कि अमृत पी लीजिए।सुकदेव जी ने कहा कि हम भगवान की कथा का अमृतपान कर रहे हैं इस समय भगवान के अलावा कुछ भी नही सुनेंगे।कथा जीव को दिव्यजीवी बनाता है।भगवान ने एक तरफ पलड़े पर भागवत कथा और दूसरे पलड़े पर सारी सुविधाएं रखी लेकिन भागवत का पलड़ा भारी हो गया।
कथावाचक पुण्डरीक जी ने कहा कि आज लोग आपस मे सत्संग नहीं कर रहे। पास रहकर भी एक दूसरे से बात नही करते जिसके कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।कथा श्रवण और आपस की बात तनाव को दूर कर देती है।
कथा में मुख्य रूप से रामानुजाचार्य , शिवपूजन शास्त्री जी महाराज, प्रोफेसर बृज भूषण ओझा, पद्मश्री डॉ सरोज चूड़ामणि, डॉ वीरेंद्र प्रताप सिंह पं० जितेंद्र मणि त्रिपाठी, रमेश तिवारी , डा०गीता सुब्रमण्यम ,पंडित पंकज शुक्ला, पं० भारद्वाज शास्त्री ,संदीप मिश्रा अति न्या. डा० प्रीतेश आचार्य, डा० कुमार प्रशान्त मिश्रा रहे।