वाराणसी। दुनियां के प्राचीनतम धार्मिक शहर काशी के 500 वर्ष पुराने पातालपुरी मठ में 11 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार हनुमान चालीसा का हवनात्मक विश्वशांति यज्ञ आयोजित किया गया। प्रत्येक दिन सनातन धर्म के प्राचीनतम तीर्थ, शक्तिपीठ, मठ, मन्दिरों, प्राचीन विश्वविद्यालयों, शहरों को मुक्त कराने का संकल्प लिया गया। 11 दिन पूर्ण हो जाने पर पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने विश्वशांति यज्ञ का फलात्मक महायज्ञ आयोजित कर धर्म, जाति, लिंग, रंग का भेद खत्म कर सनातन धर्म और संस्कृति का समानता, बन्धुत्व और शांति का प्रस्तुत किया। पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद की ओर से आयोजित इस यज्ञ ने वामपंथी इतिहासकारों और सनातन धर्म विरोधियों के उस बात का जवाब दिया जिसमें वे कहते थे कि महिलायें, दलित और मुस्लिम यज्ञ में भाग नहीं ले सकते। इस सम्बन्ध में महंत बालक दास ने बताया कि पातालपुरी मठ रामानन्दी सम्प्रदाय का मठ है जो धर्म सुधार के लिये ही जाला जाता है। यज्ञ में महिलाओं ने तो 11 दिनों तक लगातार भाग लिया, जाति भेद पर प्रहार करते हुये दलित दम्पति को यजमान बनाया गया। धर्म की दीवार तोड़ते हुये फलात्मक महायज्ञ में मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी को यजमान बनाया गया। संभवतः पहली बार किन्नर समाज के लोगों ने सभी के साथ आहूति डाली। सनातन धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक पीठ ने इस मिथक को तोड़ दिया कि केवल हिन्दू पुरूष ही मठ में जा सकते हैं या यज्ञ में यजमान बन सकते हैं। सभी को यज्ञ में भाग लेने का अवसर देकर पातालपुरी मठ ने इतिहास तो रचा ही साथ ही सनातन धर्म की मूल उदार और सहिष्णु छवि प्रस्तुत की, जो पूरी दुनियां के लिये एक सबक बन गया।
मुस्लिम महिलाओं की सर्वोच्च नेता नाजनीन अंसारी, अयोध्या श्रीराम पीठ के केन्द्रीय व्यवस्था प्रमुख डा राजीव श्रीवास्तव, विशाल भारत संस्थान की महासचिव अर्चना भारतवंशी, अनाज बैंक की निदेशक नजमा परवीन, किन्नर गुरू निशा दीदी के साथ किन्नर समुदाय की ललिता किन्नर, रानी किन्नर, खुशबू किन्नर, सोनी किन्नर, सोना किन्नर, बच्चों में दक्षिता भारतवंशी, रिया, दलित प्रतिनिधि रणधीर, रेखा देवी को पांच वैदिक ब्राह्मणों आचार्य आनन्द मिश्रा, आचार्य राघवेन्द्र पाण्डेय, श्रीराम तिवारी, मयूर पाण्डेय एवं जुगल किशोर तिवारी ने पूरे विधि-विधान से सभी तरह के भेदभाव को खत्म करने एवं विश्वशांति का संकल्प दिलाया। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने कहा कि भगवान का घर सबके लिये खुला है। सनातन धर्म और संस्कृति में सबका स्वागत है। हम किसी तरह का भेदभाव नहीं करते, न ही लिंग भेद और न ही रंग भेद। जो प्रभु श्रीराम की शरण में आना चाहता है वो आये उसका संरक्षण हमारा मठ करेगा। राम ही ईश्वर हैं और राम ही चराचर विश्व के मालिक हैं। राम पर सबका अधिकार है। इस मौके पर ऑनलाइन जुड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सनातन धर्म मं जातीय भेदभाव, छूआछूत नहीं है। ईश्वर की सभी संतान हैं। प्रभु श्रीराम ने पक्षी, वानर, गिलहरी, राक्षस सभी जातियों को गले से लगाया। हम उन्हीं के वंशज हैं, राम पथ पर चलने वाले किसी से भेद कर ही नहीं सकते। पातालपुरी मठ ने ऐतिहासिक कार्यकर विश्व को मानवता, एकता, समानता का संदेश काशी से दे दिया है। डा राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि श्रीराम को पाने के लिये जाति की नहीं भक्ति की जरूरत है। भक्त और भगवान के बीच कोई नहीं आ सकता। श्रीराम में जिसकी आस्था हो वो वंदनीय है। किन्नर समाज का मुख्य धारा में आना ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत है। रामपंथी किसी तरह के भेदभाव पर यकीन नहीं रखते। वो मानवता की सेवा के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं। यज्ञ ने विश्व को एक रास्ता दिखाया है। रामपंथ पर चलकर विश्वशांति स्थापित किया जा सकता है।
हवनात्मक यज्ञ में प्रमुख रूप से डा भोलाशंकर गुप्ता, भईया लाल जायसवाल, संदीप चौरसिया, रवि शंकर सिंह, रवि जायसवाल, गुलाब साहू, रतन सिंह, जय शंकर गुप्ता, गिरीश, रामाश्रय सेठ, सनी सिंह, हीतेन्द्र श्रीवास्तव, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, सरोज देवी, रमता श्रीवास्तव, सुनीता श्रीवास्तव, मैना देवी आदि लोगों ने अनुष्ठान में आहूति डाली।