श्री रामलीला महोत्सव खुर्जा के तत्वाधान में बैंड बाजे के साथ निकाली गई वन गमन शोभायात्रा
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खुर्जा:श्री रामलीला कमैटी (रजिस्टर्ड) खुर्जा के तत्वावधान में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के सातवें दिन श्रीराम वन गमन की लीला का भव्य मंचन किया गया। इस अवसर पर नगर में भगवान श्री राम लक्ष्मण व जगत जननी सीता जी के वन गमन की शोभायात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली गई।वन गमन शोभायात्रा का जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। जगह-जगह तोरण द्वार भी लगाये और बिजली के समुचित व्यवस्था की। श्री महेश चौक पर सजावट भव्यता देखने लायक थी। दर्शक कह उठे ऐसी भव्यता पहली बार देखी है जो पिछली रामलीलाओं के दौरान नहीं हुई। वन गमन यात्रा में नयनाभिराम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम लक्ष्मण और माता सीता को देख दर्शक भावविभोर हो उठे। वन गमन यात्रा छोटी होली स्थित श्री गंगा मंदिर से शुरू होकर छत्ता देवी दास, पुराना बाजार, विंदा वाला चौक, सराफा बाजार, मंडी दानगंज, सुभाष रोड, ग़ांधी मार्ग से होती हुई जंक्शन मार्ग स्थित रामलीला मैदान चित्रकूट पर पहुंची।
इस दौरान जगह-जगह भगवान श्री राम, लक्षण व माता सीता जी की लोगों ने उतारी और पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया। महेश चौक पर लीला का विमोचन कराया गया। जंक्शन रोड बम्बे पर केवट की लीला का विमोचन हुआ।
भगवान श्री राम श्रीराम लक्ष्मण और सीता वन गमन की लीला में कलाकारों का जीवंत अभिनय मार्मिक रहा।वन गमन के दौरान भगवान श्री राम,लक्ष्मण व माता सीता पैदल चल रहे थे। वहीं अयोध्या वासी वन गमन यात्रा में कीर्तन करते हुए साथ चल रहे थे।
वहीं बल्कल वस्त्र धारणकर राम लक्ष्मण और सीता अपने पिता से अनुमति लेने जाते हैं और पुत्र वियोग में राजा दशरथ हृदय विदीर्ण करने वाला विलाप करते हैं। राम अपने पिता के वचन का मान रखने के लिए राजा दशरथ को बिलखता हुआ महल में छोड़कर वन के लिए रवाना होते हैं।अयोध्या में चारों तरफ गम का माहौल पसर गया। श्री राम चंद्र जी जिधर भी निकलते श्रद्धालु दुःखी मन से रुकने का अनुरोध करते। पिता की आज्ञा को शिरोधार्य करने वाले श्री राम सभी को समझाते हुए अपने लक्ष्य की ओर प्रस्थान आगे बढ़ते हैं। सम्पूर्ण नगर मे शोक का माहौल हो गया। वन गमन मे श्री राम चंद्र जी की भीलों के राजा से मुलाकात होती है। भील नरेश उन्हे अपने यहां रुकने का अनुरोध करते हैं। लेकिन श्री राम चंद्र जी उनके अनुरोध को अस्वीकार कर वन मे प्रस्थान करते हैं। वन में चलते चलते वह नदी पर पहुँचते हैं और केवट से नदी पार कराने की कहते हैं।प्रसंग में नदी पार कराने के लिए केवट तैयार नहीं होता है,बार बार पूछने पर केवट कहते हैं कि प्रभु आपके चरण स्पर्श मात्र से पत्थर अहिल्या बाई बन गई थी। आपके स्पर्श से मेरी नाव भी कुछ बन गई तो मेरे परिवार का यह साधन भी समाप्त हो जायेगा। श्री राम के अनुरोध पर केवट ने लकड़ी की काठी में पैर धुलाकर संतुष्ट होकर,उसके बाद केवट ने श्री राम चंद्र जी माता जानकी तथा अनुज लक्ष्मण संग नदी पार कराते हैं। इस जीवनपर्यंत लीला का मंचन पण्डित वेद प्रकाश शर्मा के निर्देशन में कराया गया। वहीं दैत्य शक्ति से परेशान ऋषि मुनियों में खुशी की लहर दौड़ गई । श्री राम ने ऋषि मुनियों को दैत्यों से रक्षा का वचन दिया। ऋषि मुनियों के निर्देश पर भगवान श्री राम चंद्र जी ने अपना निवास चित्रकूट पर बनाया। नगर के मुख्य मार्गों से होते हुई शोभा यात्रा अंत में रामलीला मैदान जंक्शन रोड पर स्थित चित्रकूट पर पहुंची। इस अवसर पर प्रधान नवीन कुमार, महामंत्री नंद किशोर शर्मा, जनरल मैनेजर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजीव बंसल , कोषाध्यक्ष सचिन बंसल, वन गमन यात्रा इंचार्ज महेश पोद्दार, मेला कोर्डिनेटर विनीत आर्य, मीडिया मीडिया इंचार्ज चंद्र प्रकाश तायल , मीडिया संयोजक डी सी गुप्ता, ललित गुप्ता, वन गमन इन्चार्ज महेश पोद्दार, संयोजक डॉक्टर अनिल गुप्ता, सुनील सोलंकी, मां काली शोभा यात्रा वासुदेव शर्मा, संयोजक बृजेश कुमार प्रजापति, स्टेज लीला इंचार्ज महेश भार्गव, संयोजक विकास वर्मा, शुभम गुप्ता, पुनीत साहनी, वीरेश्वर दयाल, सचित गोविल, भूपेंद्र चौधरी, ज्योति कुमार शर्मा, अजय सिंघानिया, प्रमोद कुमार वर्मा, भगवत प्रसाद पोद्दार, उमाशंकर अग्रवाल, अशोक पालीवाल, अरुण कुमार बिंदा वाले, अशोक कुमार टिम्मी योगेश ,राजीव वाष्र्णेय, राजीव वर्मा, राजा शर्मा, देवेंद्र आर्य, रामेश्वर शर्मा, आशीष गोविल, आशीष यादव,रविशंकर अग्रवाल, कमल शर्मा, अखाड़ा इंचार्ज सतीश शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और कमेटी के सदस्य उपस्थित रहे।
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