भोग के वातावरण में त्याग का संदेश दें – प्रमोद झा
प्रत्येक भारतवासी को साल में कम से कम एक पौधे को वृक्ष बनाने का संकल्प लेना होगा – राज चड्डा
ग्वालियर। वृक्ष ही सृष्टि है। हमारी 80 % संसाधनों की पूर्ति वृक्षों से ही होती है। और देश की 50 % समस्याओं का हल भी वृक्षों से ही है। यह बात सामाजिक संगठनों के मार्गदर्शक व सृष्टि सेवा संकल्प के राष्ट्रीय मार्गदर्शक कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रमोद झा ने ग्वालियर स्थित आई.आई.टी.टी.एम महाविधालय में रविवार को सृष्टि सेवा संकल्प, ग्वालियर इकाई द्वारा “पर्यावरण प्रदूषण एक मायद्री युद्ध एवं वृक्षारोपण जन आंदोलन कैसे बने” विषय पर परिचर्चा कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा वृक्ष हमें सिखाते है कि अपकार करने वाले का भी उपकार करो। आद्य शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध आदि को पेड़ों के नीचे ही “सर्वं खल्विदं ब्रह्म” का ज्ञान प्राप्त हुआ। जब पेड़ों के नीचे शिक्षा होती थी तब भारत दुनिया में विश्वगुरु था। जब हम अपने जीवन से भोग के वातावरण में त्याग का संदेश देंगे तभी पर्यावरण का संवर्धन हो सकेगा।
श्री झा ने कहा टिश्यु पेपर के निर्माण में लाखों पेड़ों का बलिदान होता है इसलिए टिश्यु पेपर के स्थान पर कपड़े का रूमाल इस्तेमाल करने का संकल्प लेना चाहिए। जितने जरूरी हो उतने ही वस्त्रो का उपयोग करें क्योंकि एक वर्ष के लिए के वृक्षों की बाली लगती है प्रकृति से प्राकृतिक रूप से जो भी मिले ग्रहण करें अन्यथा प्रकृति का अपमान ब्रह्म भी बर्दाश्त नहीं करता।
श्री झा ने कहा आजकल फिल्मों में दिखाया जाता है शिवलिंग पर दूध न चढ़ा कर इसे भूखों को पिलाओ जिससे उनकी भूख मिटेगी। यह हजारों साल पुरानी हमारी परंपराओं पर कुठराघात है। मैं आपको बताना चाहता हूं हमारे देश के हर गांव शहर में शिवलिंग मिल जाएगा। शिवलिंग पर दूध, दही, शक्कर, फूल, माला, धतूरा चढ़ाने से यह धरती मां को प्राप्त होता है। जिससे उन्हें पोषण मिलता है। और वह उपजाऊ बनी रहती है। लेकिन जबसे हम पश्चात विचारों को अपना रहे हैं। हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। और आज हमें विनाश की नहीं बल्कि विकास की ओर बढ़ने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दाना पानी फॉर बर्ड्स समूह के संयोजक पर्यावरणविद् राज चड्डा ने कहा बड़े दुख की बात है जहां पूरी दुनिया में प्रति व्यक्ति के पीछे 650 वृक्ष है। वहीं भारत में मात्र 26। हमें ऐसा विकास नहीं चाहिए। हम विकास के विरोधी नहीं लेकिन सरकार एक तरफ नियम ही मानती है। एक पेड़ के काटने पर 10 पौधों को वृक्ष बनाने का नियम है। लेकिन पेड़ काटे तो जा रहे हैं लगाये नहीं जा रहे और लगाए भी जा रहे हैं तो केवल कागजों पर। इसलिए अब सरकारों से अपेक्षा न रखते हुए हम प्रत्येक भारतवासी को साल में कम से कम एक पौधे को वृक्ष बनाने का संकल्प लेना होगा। तभी स्थिति में बदलाव आएगा और यह पवित्र भारत भूमि जीवनदायनी बनी रहेगी।
इस अवसर पर वृक्षारोपण से धरती माता का विशेष शृंगार करने वाले पर्यावरण प्रेमी रूप सिंह राठौर, इंद्रदेव सिंह, अनिल कपूर का
शाल, श्रीफल व स्मृतिचिन्ह से अभिनंदन किया गया।
“सृष्टि सेवा संकल्प” संगठन पर्यावरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण की स्थानीय संस्थाओं को साथ लेकर वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाने के लिए कार्यरत है। इस परिचर्चा कार्यक्रम का उद्देश्य समाज द्वारा वृक्षारोपण को एक जनआंदोलन के रूप में खड़ा करना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के सलाहकार के.पी सिंह भदौरिया विशिष्ट अतिथि रूप सिंह राठौड़ (सेवानिवृत्त सैनिक), सारस्वत अतिथि एसिसटेंट प्रोफेसर एवं नोडल ऑफिसर आईआईटीटीएम डॉ.चंद्र शेखर बरुआ, राजेश सोलंकी, शुभम चौधरी, राजीव गुप्ता, ईशु चौहान, अजीत सिंह , शैलेंद्र कुशवाह व अन्य सामासेवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन नित्या कपिल शर्मा ने किया। आभार लोकेंद्र सिंह ने वक्त किया। इस अवसर पर ब्रिजेश भदौरिया, पवन तोमर, शक्ति सिंह, सुनील राजपूत, सिद्धप्रताप सिंह, लोकेंद्र सिंह कामर, हेमंत त्रिवेदी, योगेन्द्र सिंह, गौरव राजपूत, पारख गुप्ता, कपिल शर्मा, नर्सिंग गुप्ता, राहुल आदि सृष्टिसेवक प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।