वाराणसी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गुरुवार को कुछ ही घंटों का वाराणसी दौरा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। गुजरात में स्थित भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका और वहां गोवंश संवर्धन की वजह से दूध की व्यापक उपलब्धता से लेकर पूर्वांचल में आज से शुरू हुई दुग्ध क्रांति को समर्पित पीएम का ये दौरा योगेश्वर कृष्ण से संबंधित एक और वजह से चर्चाओं में आ गया है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंच पर आगमन के साथ ही भगवत् गीता के श्लोक ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।” “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।” जी हां, गुरुवार को यही श्लोक उस समय बज उठा जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी की पिंडरा विधानसभा के करखियांव में आयोजित जनसभा के मंच पर पहुंचे। इस श्लोक के बजते ही पूरा जनसभा स्थल आह्लादित हो उठा और चारों तरफ से मोदी-मोदी का नारा लगने लगा।यह भगवत गीता के अध्याय 4 का 7 वां और 8वां श्लोक है, जिसे भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था। इसका भावार्थ है – जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, विनाश का कार्य होता है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूँ और इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ। सज्जनों और साधुओं की रक्षा करने लिए और पृथ्वी पर से पाप को नष्ट करने के लिए तथा दुर्जनों और पापियों के विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में बार-बार अवतार लेता हूँ और समस्त पृथ्वी वासियों का कल्याण करता हूँ।”
इस श्लोक के प्रधानमंत्री के मंच से बजने के बाद से राजनीतिक गलियारे में बहस शुरू हो गयी है। वहीं प्रधानमंत्री ने भी अपना उद्बोधन शुरू करते ही गाय और गोबर को गुनाह कहने वालों को आड़े हाथ लिया और कहा कि वह हमारी माता है और हमारे लिए पूजनीय है। वह औरों के लिए गुनाह होगी हमारे लिए नहीं है।