वाराणसी। पातालपुरी मठ में संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार द्वारा हनुमान चालिसा का 108 बार हवनात्मक यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें काशी के विद्वानों, धर्माचार्यों, पीठाधीश्वरों ने वैदिक शिक्षा और मठों के संरक्षण को लेकर गहन मंत्रणा की। इस दौरान कोविड 19 पर बोलते हुए उन्होंने चीन को लताड़ लगायी और कहा कि चीन ने मानवजाति पर तीन हमला किया उसमे कोविड 19 भी है। यह कोई वायरस नहीं बल्कि बायोलॉजिकल वेपन है। इस संवाद कार्यक्रम में काशी के धर्माचार्यों ने इस बात पर मंत्रणा किया कि प्रतिदिन वैदिक अध्ययन कराने वाले मठों को चिह्नित कर उनको सरकारी संरक्षण दिया जाए और मठों को वैदिक शिक्षा के मामले में गुरुकुल का दर्जा देते हुए पीठाधीश्वरों को प्रोफेसरों के बराबर वेतन दिया जाए। इस अवसर पर धर्माचार्यों से संवाद करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि जाति, धर्म, रंग आदे के भेद को खत्म करने में मठों की बड़ी भूमिका हो सकती है। सनातन संस्कृति का संरक्षण तभी संभव है जब हम वेद, वैदिक शिक्षा, यज्ञ को आन्दोलन बनायें। सनातन संस्कृति के पुनर्जारण के लिए यह आवश्यक है कि हम सभी तरह के भेद खत्म कर दें और सबको गले लगा लें रहें।
कोविड 19 वायरस नहीं चीन का बायोलॉजिकल वेपन है
इंद्रेश कुमार ने चीन द्वारा भारत के पठारी हिस्सों पर घुसपैठ करने पर कहा कि चीन ने संपूर्ण मानव जाति के विरुद्ध तीन प्रकार से हमला किया है। उन्होंने कहा कि कोविड 19 वायरस नहीं है बल्कि एक बायोलॉजिकल वेपन है जिसके द्वारा चीन ने मानवजाति में संक्रमण फैलाया है। चीन ने अपनी सस्ती और लो क्वालिटी चीजों का जाल पूरे देश में फैलाकर लाखों लोगों को बेरोजगार किया है। उन्होने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि चीन ने पंडित नेहरु को धोखा देकर 1969 में पूरा तिब्बत हड़प लिया। चीन भारत के अधिकांश हिस्सों को अपना बताते हुए कब्जा करने पर तुला हुआ है, पर भारत ने हर बार चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
वेद का अध्ययन सबके लिए खुला है
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने कहा कि रामानंद ने जाति धर्म के भेद को मिटा कर सभी लोगों को अपना शिष्य बनाया था। उन्हें के रास्ते पर चलते हुए रामानंदी सम्प्रदाय के मठ सभी को गले से लगा कर दीक्षित करेंगे। वेद का अध्ययन सबके लिए खुला है। जिताना वेदों और सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों का अध्ययन होगा, दुनिया उतनी तेजी से शांति, सद्भावना और समृद्धी की ओर बढ़ेगी।
वेदों का पाठ्यक्रम शुरु करने की आवश्यक्ता
विशाल भारत संस्था के अध्यक्ष एवं इतिहासकार डॉ राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि अब एमए इन गीत, एमए इन रामायण, एमए इन रामचरित मानस जैसे पाठ्यक्रम शुरु करने चाहिये। मठों में चल रही वैदिक शिक्षा के संवर्धन के लिए विशेष योजना बनानी चाहिये। बैठक में मुख्य रुप से धर्माचार्य महंत श्रवण दास, महंत ईश्वर दास, महंत रामलोचन दास, महंत अवध बिहारी, महंत राघव दास, महंत अवध किशोर दास, महंत सीताराम दास आदि लोग मौजूद